Stories Of Premchand
28: जयशंकर प्रसाद की लिखी कहानी भिखारिन, Bhikhaarin - Story Written By Jaishankar Prasad
- Author: Vários
- Narrator: Vários
- Publisher: Podcast
- Duration: 0:05:57
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Informações:
Synopsis
जाह्नवी अपने बालू के कम्बल में ठिठुरकर सो रही थी। शीत कुहासा बनकर प्रत्यक्ष हो रहा था। दो-चार लाल धारायें प्राची के क्षितिज में बहना चाहती थीं। धार्मिक लोग स्नान करने के लिए आने लगे थे। निर्मल की माँ स्नान कर रही थी, और वह पण्डे के पास बैठा हुआ बड़े कुतूहल से धर्म-भीरु लोगों की स्नान-क्रिया देखकर मुस्करा रहा था। उसकी माँ स्नान करके ऊपर आई। अपनी चादर ओढ़ते हुए स्नेह से उसने निर्मल से पूछा-‘‘क्या तू स्नान न करेगा?’’ निर्मल ने कहा-‘‘नहीं माँ, मैं तो धूप निकलने पर घर पर ही स्नान करूँगा।’’ पण्डाजी ने हँसते हुए कहा-‘‘माता, अबके लड़के पुण्य-धर्म क्या जानें? यह सब तो जब तक आप लोग हैं, तभी तक है।’’ निर्मल का मुँह लाल हो गया। फिर भी वह चुप रहा। उसकी माँ संकल्प लेकर कुछ दान करने लगी। सहसा जैसे उजाला हो गया-एक धवल दाँतों की श्रेणी अपना भोलापन बिखेर गई- ‘‘कुछ हमको दे दो, रानी माँ!’’ निर्मल ने देखा, एक चौदह बरस की भिखारिन भीख माँग रही है। पण्डाजी झल्लाये, बीच ही में संकल्प अधूरा छोड़कर बोल उठे-‘‘चल हट!’’ निर्मल ने कहा- ‘‘माँ! कुछ इसे भी दे दो।’’ माता ने उधर देखा भी नहीं, परन्तु निर्मल ने उस जीर्ण मलिन वसन में एक दरि